प्रेगनेंसी में पेट के निचले हिस्से में दर्द क्यों होता है और उपाय की जानकारी, तो घबराने की बजाय तुरंत अपने यह उपाय

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प्रेग्‍नेंसी में पेट के नीचे होता है दर्द क्यो होता है

सभी लोगों को मेरा नमस्कार, मेरा नाम सुषमा चौहान है, और मैं आज आपको अपने अनुभव और विशेषज्ञ के अनुभव से बताऊंगी की प्रेगनेंसी में पेट के निचले हिस्से में दर्द क्यों होता है। दरअसल प्रेगनेंसी के दौरान शारीरिक परिवर्तन होना सामान्य स्थित है। लेकिन इस परिवर्तन के कारण कभी-कभी दर्द की स्थिति भी उतपन्न हो सकती है। इसके अलावा प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोन में बदलाव और ब्लैडर में दर्द जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

ऐसे मैं आपको घबराने की वजह यह सावधानियां और उपाय करने की आवश्यकता है। क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में काफी बदलाव देखने को मिलते हैं। जिसके कारण ब्लैडर में पेन की समस्या आम है। ऐसा में इसलिए बोल रही हूं क्योंकि सबसे ज्यादा बदलाव ब्लैडर में ही देखा जाता है। आइए नीचे की ओर आसान शब्दों में इसकी सम्पूर्ण जानकारी को समझते हैं।

​प्रेग्‍नेंसी के दौरान ब्लैडर में परिवर्तन के कारण किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोन में बदलाव होता है। जिस कारण किडनी का आकार बढ़ने लगता है। जिस वजह से यूरिन की मात्रा भी अधिक होने लगती है जिस वजह से यह ब्लैडर में फैलने लगता है। जैसे-जैसे बच्चे का आकार अंदर बढ़ता है, तो किडनी, ब्लैडर जैसे अंगों पर भी दबाव बढ़ने लगता है। यही वह वजह है कि कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान ब्लैडर पेन की समस्या का सामना करना पड़ता है।

गर्भावस्था के शुरुआती 3 महीना में कुछ महिलाओं को पेशाब करने और बार-बार शौचालय जाने के बीच कम अंतराल दिखाई दे सकता है। जिस वजह से उन्हें पहले से ज्यादा बार टॉयलेट जाना पड़ता है। किडनी में हार्मोन प्रोडक्शन भरने के कारण फर्टिलाइजेशन के साथ बढ़ने लगती है जिस वजह से बार-बार पेशाब जाने की समस्या होती है।

दूसरी तिमाही के दौरान शरीर में कम परिवर्तनों का होता है जिससे शरीर थोड़ा रिलैक्स का अनुभव करता है। साथ ही इस दौरान यूरिन का प्रोडक्शन भी कम हो जाता है। लेकिन थोड़ा बहुत ब्लैडर में दबाव होने सकता है। जिससे आप ब्लैडर पेन की समस्या महसूस कर सकती है। अगर मैं बात करूं अपने अनुभव की तो यह पहले से कम रहता है।

तीसरी तिमाही पहली तिमाही की जैसी होती है। इसमें भी शरीर में कई परिवर्तन देखे जाते हैं। अगर मैं बात करूं अपने अनुभव की तो, इसमें पहले तिमाही की तरह ब्लैडर में दबाव ज्यादा पड़ता है। जिससे ब्लैडर पेन की समस्या हो सकती है।

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ब्लैडर पेन के कुछ कारण यह हैं

यूरिन की मात्रा बढ़ जानाः 

गर्भावस्था के दौरान यूरिन उत्पादन में वृद्धि से ब्लैडर पर दबाव पड़ने लगता है। इस हार्मोनल परिवर्तन के कारण अक्सर मूत्र की मात्रा अधिक हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप यूरिन की मात्रा अपने आप बढ़ने लगती है।

रक्त सर्कुलेट में परिवर्तन

सामान्य स्थिति से प्रेगनेंसी के दौरान शरीर 50% अधिक को ब्लड को सर्कुलेट करता है। जिससे किडनी पर दबाव अधिक हो जाता है। और इसी वजह से ब्लैडर पेन की समस्या होती है।

गर्भाशय का विकास

जैसे-जैसे भ्रूण बढ़ता है, ऐसे में समय के साथ-साथ गर्भाशय का आकार भी बढ़ता जाता है, जो ब्लैडर में दबाव बनाने की स्थिति को पैदा करता है। जिस कारण से ब्लैडर में पेन की समस्या महसूस हो सकती है

गर्भावस्था के दौरान मूत्र मार्ग के संक्रमण (यूटीआई) इस प्रकार है।

प्रेगनेंसी के दौरान यूरिनरी ट्रेक्ट (urinary tract) के इन्फेक्शन (यूटीआई) आमतौर पर बैक्टीरिया की सूजन की वजह से हो जाता हैं। यह प्रेगनेंसी के दौरान कभी भी हो सकता है। लेकिन 6 से 24 सप्ताह के बीच यह समस्या देखी जाती है। यह यूटीआई ब्लैडर पर भी दबाव डाल सकता है। जिससे ब्लैडर की परेशानी और भी बढ़ सकती है। प्रेगनेंसी के दौरान यूरिनरी ट्रेक्ट के इंफेक्शन के पीछे E Coli बैक्टीरिया भी एक वजह हो सकती है।

इसके अतिरिक्त, यूरिनरी ठहराव, जहां यूरिन ब्लैडर में फंस जाता है, यह प्रेगनेंसी से जुड़ी एक और समस्या है। इससे ब्लैडर पर दबाव बनता है, जिसके परिणामस्वरूप ब्लैडर में दर्द होता है। पीवीआर के जरिए आप यूरिन स्टेसीस को चेक करवा सकते हैं। जिससे यह पता लग सकता है कि आपको यूरिन स्टेसीस की समस्या है या नहीं। यह फिजिकल एग्जामिनेशन आपके लिए काफी उपयोगी हो सकता है।

सामान्य ब्लैडर पेन कम करने के उपाय इस प्रकार है

मैं अपने अनुभव से कहती हूं, की प्रेगनेंसी के दौरान ब्लैडर पेन की किसी भी स्थिति में डॉक्टर से परामर्श कर लेना जरूरी है। लेकिन आपको ब्लैडर पेन सामान्य है तो इन बातों पर ध्यान रखकर आप इससे राहत पा सकते हैं

ब्लैडर पेन की समस्याएं अक्सर यूरिन के रास्ते यूरिन रुकावट के कारण उत्पन्न होती हैं। यदि आप चाहते हैं की यूरिन के रास्ते में यूरिन ना रुके। तो आपको ऐसी चीजों से दूरी बनानी होगी जो इस समस्याओं को बढ़ती है।

स्वस्थ आदते

कॉफ़ी, चाय और सोडा जैसे पेय पदार्थों से दूरी बनाकर रखें, क्योंकि इनसे अत्यधिक मूत्र उत्पादन हो सकता है। इसके बजाय, पर्याप्त पानी के सेवन को प्राथमिकता दें। यह न केवल डिहाइड्रेशन को रोकने में मदद करता है बल्कि आपके मूत्र को साफ रखता है, जिससे मूत्र मार्ग के संक्रमण (यूटीआई) का खतरा कम हो जाता है।

​अन्य दवाइयां

अगर ब्लैडर में पेन यूरिन ठहराव या यूरिन के रास्ते में इंफेक्शन की वजह से हो रहा है तो इसके लिए आपको दवाइयां का सेवन करना पड़ेगा। इस समस्या को समय रहते ठीक करना जरूरी है, क्योंकि यह और भी बढ़ सकता है। इसकी दवा के लिए आप डॉक्टर से परामर्श करें।

ब्लैडर पेन की समस्या सामान्य होती है जिसमें आप कुछ बातों का ध्यान रखकर इन्हें ठीक कर सकते हैं लेकिन कई महिलाओं को यह समस्या लगातार बढ़ती जाती है जिस दर्द बर्दाश्त नहीं हो पता है ऐसे में उन्हें डॉक्टर से परामर्श जरूर करना चाहिए।

सवाल के जवाब जाने FAQ

प्रेगनेंसी में पेट के निचले हिस्से में दर्द क्यों होता है

प्रेग्नेंसी के शुरुआती 1 से 12 हफ्ते के दौरान पेट में हल्का दर्द होना सामान्य माना जाता है। क्योंकि इस दौरान आपके शरीर के अंदर काफी चनजेस देखने को मिलता है। आपका गर्भाशय बढ़ने लगता है, लिगामेंट्स स्ट्रेच होने लगता हैं, मॉर्निंग सिकनेस भी बनी रहती है। इन सभी वजह से थोड़ा बहुत पेट दर्द होना सामान्य बात है।

गर्भावस्था के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द होने का क्या मतलब है?

पेट के निचले हिस्से (पेड़ू) में दर्द होना गर्भावस्था के दौरान एक सामान्य समस्या है। यह पेट में गर्भाशय और गर्भाशय की अस्थियों के खिचने के वजह से हो सकता है। जब भ्रूण बढ़ता है, तो गर्भाशय की अंदरूनी दीवार पर दबाव पड़ सकता है, जिसके कारण इस प्रकार का दर्द होता है।

प्रारंभिक गर्भावस्था में पेट के निचले हिस्से में दर्द क्यों होता है?

लिगामेंट दर्द जिसे अक्सर बढ़ता दर्द भी कहा जाता है। क्योंकि लिगामेंट आपके बढ़ते उभार को सहारा देने के लिए खिंचते हैं। इसमें आपके निचले पेट के एक तरफ तेज ऐंठन की तरह महसूस हो सकता है।

प्रेगनेंसी के 9 महीने में पेट दर्द क्यों होता है

गर्भावस्‍था के दौरान भ्रूण बढ़ जाता है और पेट के अंगों की पोजीशन बदलने लगती है। जिस कारण पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है। इसके अलावा आपको गैस या बचत है, तो इस कारण से भी यह दर्द होता है। वही मानसिक बदलाव और बायोकेमिकल भी प्रेगनेंसी के कुछ लक्षणों, जैसे की पेट फूलना, दर्द, ऐंठन और मतली जैसी समस्या पैदा कर सकते हैं।

प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा दर्द होना क्या है

आपको बता दे की शुरुआती प्रेगनेंसी में हल्का पेट दर्द महसूस करना आम बात है। यह दर्द आमतौर पर गर्भ के बढ़ने से होता है। कई महिलाओं में यह दर्द पीरियड के दर्द जैसे होता है। आपको बताऊंगी कि यह चिंता की बात नहीं है, जब तक की यह दर्द हल्का-हल्का हो रहा है। लेकिन दर्द असहनीय हो तो आपको डॉक्टर से बात जरूर करनी चाहिए।

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